Description:‘ज़िन्दगीनामा’ एक ऐसा दिलचस्प उपन्यास है जिसमें न कोई नायक है और न खलनायक। इसमें पंजाब का एक गाँव है जिसमें रहते हैं ज़िन्दादिल, जाँबाज़ लोग...‘ज़िन्दगीनामा’ की कहानी इन्हीं लोगों के साथ बहती है और इन लोगों के साथ ही खेत-खलिहानों, पर्व-त्योहारों, लड़ाई-झगड़ों से गुज़रते हुए सूदखोर, साहूकारों और ग़रीब किसानों के दिलों का जायज़ा लेती है...आदमी और आदमी के बीच फ़र्क़ डालनेवाले क़ानून और ऐसे ही तमाम यथार्थ से गुज़रती हुई यह कहानी भारतीय जीवन-दर्शन को उसकी समग्रता में सहेजते-समझते हुए बढ़ती है और गढ़ती है कथ्य और शिल्प का एक नया प्रतिमान! ‘ज़िन्दगीनामा’ के पन्नों में आपको बादशाह और फ़क़ीर, शहंशाह, दरवेश और किसान एक साथ खेतों की मुँडे़रों पर खड़े मिलेंगे। ‘ज़िन्दगीनामा’ कृष्णा सोबती की विलक्षण भाषा-सामर्थ्य का भी परिचायक है। अपने भाषा संस्कार के घनत्व, जीवन्त प्रांजलता और सम्प्रेषण से कृष्णा सोबती ने हमारे समय के अनेक पेचीदा सच आलोकित किए हैं। ‘ज़िन्दगीनामा’ उनका ऐसा उपन्यास है जिसने हिन्दी के आधुनिक लेखन के प्रति पाठकों का भरोसा पैदा किया! किसी युग में, किसी भी भाषा में एक-दो लेखक ही ऐसे होते हैं जिनकी रचनाएँ साहित्य और समाज में घटना की तरह प्रकट होती हैं... और कहने की आवश्यकता नहीं कि ‘ज़िन्दगीनामा’ की लेखिका ऐसी ही हैं जो अपनी भावात्मक ऊर्जा और कलात्मक उत्तेजना के लिए प्रबुद्ध पाठक वर्ग को लगातार आश्वस्त करती रही हैं।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with Zindaginama. To get started finding Zindaginama, you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed. Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.
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