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देवयुद्ध- एक और महाभारत (भाग-१)

Amresh Kumar Singh
4.9/5 (29027 ratings)
Description:विधि के विधान के अनुसार ‘यमस्वर’ (एक पवित्र यमदूत) धरती पर राजकुमार दक्ष जो की मुग़ल शाशक जुमान की साजिश में वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं की आत्मा को लेने धरती चला आता है। अपनी पहले ही कार्यकाल में यमस्वर को धरती पर अन्य यमदूत भी दिखाई देते हैं जो उसकी तरह ही अपने कर्तव्य का पालन करने धरती आये हुए थे। सबको नजरंदाज कर वो अभी दक्ष की आत्मा को ले जाने वाला ही था की उसकी नजर राजकुमार दक्ष की पत्नी और प्रतापगढ़ की राजकुमारी चित्रावंशी पर जाती है। अगर इंसानों की सबसे खूबसूरत कल्पना जो की निली आसमान के ऊपर ‘स्वर्ग’ का कोई आस्तित्व है तो उस स्वर्ग की भी एक राजकुमारी होगी, उस राजकुमारी ने भी खूबसूरती की कल्पना की होगी, राजकुमारी उसकी कल्पना से भी ज्यादा ख़ूबसूरत थी। सौंदर्य के सम्मोहन से भगवान राम और कृष्ण ना बच पाए तो यमस्वर तो फिर भी एक साधारण यमदूत था। बेहोश चेहरे पर आँखों से टपकी मोती जैसे आसँुओ ं की बूँदें , सूरज की हल्की रौशनी में हीरे की तरह चमक रही थीं। उदास चेहरा भी इतना प्यारा मानो परियों की रानी चैन से सो रही हो। गुलाब की पंखुड़ियों से ज्यादा प्यारे उसके होंठ, काले बादलो से ज्यादा घनी बंद आँखों की वे खूबसूरत पलकें, अस्तव्यस्त बालों की घनी लटें। उसने शायद कभी ख़ूबसूरती की कल्पना की होगी लेकिन खूबसूरती को परिभाषित करती राजकुमारी चित्रावंशी के मासूम चेहरे ने यमस्वर को दीवाना बना दिया। एक यमदूत भावनाओं के सागर में डूब चुका चुका था। चित्रावंशी की ख़ूबसूरती यमदूत की पवित्रता पर भारी पर चुकी थी। राजकुमारी की अद्भुत खूबसूरती भी यमदूत की भावनाओं को झकझोर चुकी थी। वह उसे पाने की ठान चुका था और अगर ऐसा ना होता तो उसकी तमाम शक्तियों को ठेस पहुंचाता।ऊर्जा ना ही उत्पन्न की जा सकती है और ना ही इसे बर्बाद किया जा सकता है। इसे सिर्फ एक श्रोत से दूसरे श्रोत में किसी माध्यम के द्वारा इसका अंतरण किया जा सकता है। यमस्वर यह जानता था कि यमदूतों की आत्मा भी ऊर्जा ही है, जो अपने आपको किसी माध्यम से रूपांतरित कर सकती है और दैविक शक्ति होने के कारण अपने पूरी शक्ति पर उसे पूरा नियंत्रण था। उसे यह भी पता था कि अगर उसे राजकुमारी को पाना है तो उसे दक्ष की बेजान शरीर को ज़िंदा करना होगा। लेकिन दक्ष की आत्मा को यमनगर ले जाना भी महत्वपूर्ण था ऐसा न करने पर किसी दूसरे यमदूत को उसके काम को पूरा करने भेज दिया जाता। क्योंकि सभी यमदूत जा चुके थे तो उसके पास वक्त भी काफी कम था।यमस्वर ने अपनी पूरी शक्ति से अपनी ऊर्जा यानी अपनी आत्मा को दो भागों में बाँट लिया। फिर दोनों ऊर्जाओं को दो जगह एकत्र कर एक ऊर्जा को उसने आत्मा बना राजकुमार दक्ष के मृत शरीर में डाल दिया और बची हुई शक्ति के साथ वो राजकुमार दक्ष की आत्मा को लेकर वापस लौट गया। ये बात तो सिर्फ यमस्वर ही जानता था कि उसकी सारी मानवीय शक्ति एक मानव के शरीर में समा चुकी थी और जो बची हुई ऊर्जा थी, वह वापस यमलोक पधार चुकी थी। यमलोक में आत्माओं की गिनती शुरू हुई और ऊर्जा का मापदंड तुरंत चालू किया गया। यमराज और चित्रगुप्त महाराज के तो पसीने छूट गये। क्योंकि आत्मा की संख्या बढ़ चुकी थी जबकि ऊर्जा का अनुपात अभी भी उतना ही था। राजकुमार दक्ष की आत्मा यमलोक आ चुकी थी जबकि धरती पर वो फिर ज़िंदा हो चुका था। उसके शरीर को संचालित कर रही आत्मा को पहचान पाना भी नामुमकिन हो गया था। यमस्वर का तो व्यवहार ही बदल चुका था। वो इतना कठोर हो गया था कि मानो वो यमदूत नहीं यमराज की मृत्यु हो। यमराज ने अपनी कोशिश कर ली लेकिन उन्हें कुछ पता नही चला। पूरे यमलोक में हाहाकार मच चुका था। ब्रह्मा, विष्णु, महेश और उनके साथ तमाम देवी देवताओं की शक्तियों का दुरुपयोग का कारण कहीं ना कहीं यमराज बन चुके थे। इस वजह से यमराज अपना आप खो बैठे थे और गुस्से से पागल हो चुके थे। दुनिया जानती है यमराज का गुस्सा कहीं भी तूफ़ान ला सकता है और यह तूफ़ान धरती पर आने वाला था इस बार। वो तूफ़ान आया भी।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with देवयुद्ध- एक और महाभारत (भाग-१). To get started finding देवयुद्ध- एक और महाभारत (भाग-१), you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed.
Our library is the biggest of these that have literally hundreds of thousands of different products represented.
Pages
175
Format
PDF, EPUB & Kindle Edition
Publisher
Release
2018
ISBN
9387999025

देवयुद्ध- एक और महाभारत (भाग-१)

Amresh Kumar Singh
4.4/5 (1290744 ratings)
Description: विधि के विधान के अनुसार ‘यमस्वर’ (एक पवित्र यमदूत) धरती पर राजकुमार दक्ष जो की मुग़ल शाशक जुमान की साजिश में वीरगति को प्राप्त हो जाते हैं की आत्मा को लेने धरती चला आता है। अपनी पहले ही कार्यकाल में यमस्वर को धरती पर अन्य यमदूत भी दिखाई देते हैं जो उसकी तरह ही अपने कर्तव्य का पालन करने धरती आये हुए थे। सबको नजरंदाज कर वो अभी दक्ष की आत्मा को ले जाने वाला ही था की उसकी नजर राजकुमार दक्ष की पत्नी और प्रतापगढ़ की राजकुमारी चित्रावंशी पर जाती है। अगर इंसानों की सबसे खूबसूरत कल्पना जो की निली आसमान के ऊपर ‘स्वर्ग’ का कोई आस्तित्व है तो उस स्वर्ग की भी एक राजकुमारी होगी, उस राजकुमारी ने भी खूबसूरती की कल्पना की होगी, राजकुमारी उसकी कल्पना से भी ज्यादा ख़ूबसूरत थी। सौंदर्य के सम्मोहन से भगवान राम और कृष्ण ना बच पाए तो यमस्वर तो फिर भी एक साधारण यमदूत था। बेहोश चेहरे पर आँखों से टपकी मोती जैसे आसँुओ ं की बूँदें , सूरज की हल्की रौशनी में हीरे की तरह चमक रही थीं। उदास चेहरा भी इतना प्यारा मानो परियों की रानी चैन से सो रही हो। गुलाब की पंखुड़ियों से ज्यादा प्यारे उसके होंठ, काले बादलो से ज्यादा घनी बंद आँखों की वे खूबसूरत पलकें, अस्तव्यस्त बालों की घनी लटें। उसने शायद कभी ख़ूबसूरती की कल्पना की होगी लेकिन खूबसूरती को परिभाषित करती राजकुमारी चित्रावंशी के मासूम चेहरे ने यमस्वर को दीवाना बना दिया। एक यमदूत भावनाओं के सागर में डूब चुका चुका था। चित्रावंशी की ख़ूबसूरती यमदूत की पवित्रता पर भारी पर चुकी थी। राजकुमारी की अद्भुत खूबसूरती भी यमदूत की भावनाओं को झकझोर चुकी थी। वह उसे पाने की ठान चुका था और अगर ऐसा ना होता तो उसकी तमाम शक्तियों को ठेस पहुंचाता।ऊर्जा ना ही उत्पन्न की जा सकती है और ना ही इसे बर्बाद किया जा सकता है। इसे सिर्फ एक श्रोत से दूसरे श्रोत में किसी माध्यम के द्वारा इसका अंतरण किया जा सकता है। यमस्वर यह जानता था कि यमदूतों की आत्मा भी ऊर्जा ही है, जो अपने आपको किसी माध्यम से रूपांतरित कर सकती है और दैविक शक्ति होने के कारण अपने पूरी शक्ति पर उसे पूरा नियंत्रण था। उसे यह भी पता था कि अगर उसे राजकुमारी को पाना है तो उसे दक्ष की बेजान शरीर को ज़िंदा करना होगा। लेकिन दक्ष की आत्मा को यमनगर ले जाना भी महत्वपूर्ण था ऐसा न करने पर किसी दूसरे यमदूत को उसके काम को पूरा करने भेज दिया जाता। क्योंकि सभी यमदूत जा चुके थे तो उसके पास वक्त भी काफी कम था।यमस्वर ने अपनी पूरी शक्ति से अपनी ऊर्जा यानी अपनी आत्मा को दो भागों में बाँट लिया। फिर दोनों ऊर्जाओं को दो जगह एकत्र कर एक ऊर्जा को उसने आत्मा बना राजकुमार दक्ष के मृत शरीर में डाल दिया और बची हुई शक्ति के साथ वो राजकुमार दक्ष की आत्मा को लेकर वापस लौट गया। ये बात तो सिर्फ यमस्वर ही जानता था कि उसकी सारी मानवीय शक्ति एक मानव के शरीर में समा चुकी थी और जो बची हुई ऊर्जा थी, वह वापस यमलोक पधार चुकी थी। यमलोक में आत्माओं की गिनती शुरू हुई और ऊर्जा का मापदंड तुरंत चालू किया गया। यमराज और चित्रगुप्त महाराज के तो पसीने छूट गये। क्योंकि आत्मा की संख्या बढ़ चुकी थी जबकि ऊर्जा का अनुपात अभी भी उतना ही था। राजकुमार दक्ष की आत्मा यमलोक आ चुकी थी जबकि धरती पर वो फिर ज़िंदा हो चुका था। उसके शरीर को संचालित कर रही आत्मा को पहचान पाना भी नामुमकिन हो गया था। यमस्वर का तो व्यवहार ही बदल चुका था। वो इतना कठोर हो गया था कि मानो वो यमदूत नहीं यमराज की मृत्यु हो। यमराज ने अपनी कोशिश कर ली लेकिन उन्हें कुछ पता नही चला। पूरे यमलोक में हाहाकार मच चुका था। ब्रह्मा, विष्णु, महेश और उनके साथ तमाम देवी देवताओं की शक्तियों का दुरुपयोग का कारण कहीं ना कहीं यमराज बन चुके थे। इस वजह से यमराज अपना आप खो बैठे थे और गुस्से से पागल हो चुके थे। दुनिया जानती है यमराज का गुस्सा कहीं भी तूफ़ान ला सकता है और यह तूफ़ान धरती पर आने वाला था इस बार। वो तूफ़ान आया भी।We have made it easy for you to find a PDF Ebooks without any digging. And by having access to our ebooks online or by storing it on your computer, you have convenient answers with देवयुद्ध- एक और महाभारत (भाग-१). To get started finding देवयुद्ध- एक और महाभारत (भाग-१), you are right to find our website which has a comprehensive collection of manuals listed.
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Pages
175
Format
PDF, EPUB & Kindle Edition
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Release
2018
ISBN
9387999025
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